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हर्बल कुणापजल के उपयोग से किसानों की मिली सफलता
हर्बल कुनापजल का उपयोगः जिला अल्मोड़ा के नवाचारी कृषक की सफलता की कुंजी
श्री रंजीत सिंह धामस गाॅव, विकासखण्ड हवालबाग, जिला अल्मोड़ा में एक अति उत्साही एवं नवचारी कृषक हैं भारत सरकार वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित हिमालयी क्षेत्र के अध्ययन हेतु राष्ट्रीय मिशन के माध्यम से गोबिन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर में चलाई जा रही परियोजना “एक्सप्लोरिंग लाइवलीहुड पोटंेशियल आफ वाइल्ड ग्रोइंग स्टिंगिग नीटल इन उत्तराखण्ड” नामक परियोजना कि अन्तर्गत वृक्षायुर्वेद आधारित हर्बल कुनाप जल की जागरूगता, उसकी विशेषताएॅ, बनाने का तरीका एवं विभिन्न फसलों में उसका उपयोग विषय पर प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन सत्र भाग लेने के उपरान्त श्री रंजीत बहुत ही प्रभावित हुए। प्रशिक्षण लेने के तुरन्त बाद ही पोस्ट कोविड़ समय में उन्होने अपनी 50 नाली जमीन जो काफी रेतीली में फल, सब्जी, फूल आदि सभी प्रकार की फसलों हेतु कुनाप जल तैयार कर उनमें उपयोग किया। वर्तमान में वे सेब, अखरोट, टमाटर, गेंदा, अदरक, हल्दी, मटर, शिमला मिर्च, ग्लोड़िओलस, बीन, प्याज आदि फसलों पर कुनाप जल का 10 से 15 दिन के अन्तराल पर लगातार प्रयोग कर रहे हैं तथा फसलों की गुणवता तथा उपज की बढ़ोत्तरी देख कर बहुत खुश हैं। गाॅव के अन्य कृषक रंजीत सिंह को रेतीली जमीन पर हर प्रकार की लहलहाती फसल देख कर आश्चर्य में हैं। उन्होने पहले ही वर्ष में हर्बल कुनाप जल के प्रयोग से मटर, प्याज, गेंदा तथा टमाटर की काफी अच्छ़ी उपज प्राप्त की है श्री रंजीत सिंह हर्बल कुनाप जल के प्रयोग से काफी प्रसन्न हैं एवं अपने आस पास के कृषकों को हर्बल कुनाप जल के प्रयोग हेतु प्रेरित कर रहे हैं जो कि सफल एवं टिकाऊ जैविक खेती की एक कारगार तकनीकी है।
कुनापजल का प्रयोगः महिला मंगल दल, गाॅव-लोध, ब्लाॅक-तालुका, सफलता की कहानी
हंसी नेगी (मो0 9411113420) अध्यक्ष महिला मंगल दल, ग्राम - लोध, ब्लाक ताकुला जिला अल्मोड़ा, एक जागरूक व प्रगतिशील महिला कृषक है। “जंगली बिच्छु घास (आर्टिका डियोका) से आजीविका की सम्भावना” परियोजना के अन्तर्गत (वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित) हर्बल कुनापजल का फसलों पर प्रयोग परियोजना की शुरुआत, 2020 सितम्बर माह में लोध गाँव से की गयी थी। महिला मंगल दल के समूह द्वारा जागरूकता अभियान में प्रतिभाग किया गया उसके उपरान्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिला मंगल दल की अध्यक्षा हंसी नेगी के नेतृत्व में इस कार्य को लिया गया। सभी महिला सदस्यों द्वारा कुनापजल का प्रयोग प्याज, लहसुन की फसलों पर किया गया। प्याज की पौध को लगाने से पूर्व उसकी जड़ों को कुनापजल में डुबाकर लगाया तथा 15 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव भी किया गया। आधा नाली जमीन से 1.5 कुन्तल प्याज तथा लहसुन की 4ग4 मी जगह से 30 किलो लहसुन का उत्पादन प्राप्त किया गया। प्याज और लहसुन का आकार एवं गुणवत्ता उत्तम पायी गयी। सभी महिला मंगल दल की सदस्या कुनापजल के उपयोग से प्राप्त प्याज व लहसुन की उपज तथा गुणवत्ता से खुश भी। उनके द्वारा अन्य फसलों जैसे कद्दु वर्गीय बेलों, टमाटर, बैंगन इत्यादि पर भी इसका प्रयोग किया गया है। अभी तक सन्तोषजनक बढ़वार हो रही है व उसके अच्छे परिणामों को प्रतिक्षा की जा रही हैं।
किसान आनंद मणि भट्ट (मोबाइलः $91-78958-75666), भीमताल, नैनीताल जिले के अल्चैना ब्लॉक के एक बहुत ही अभिनव किसान है। ये अपने खेत में आलू, फूलगोभी, टमाटर, मटर और अदरक पर हर्बल कुणपजल का उपयोग करके जैविक खेती कर रहे है। श्री आनंद मणि भट्ट हर्बल कुणपजल का उपयोग कर बहुत संतुष्ट हैं तथा मटर और टमाटर की फसल से प्राप्त अनुभव के बाद उन्होंने हर्बल कुणपजल के उपयोग को अन्य कृषकों के मध्य काफी प्रोत्साहित किया। पौधों की ऊंचाई और टमाटर की शाखाओं के साथ-साथ मटर के पौधों में भी काफी अच्छी बढ़वार देखी गई। श्री भट्ट ने अक्टूबर 2019 के दौरान पंतनगर के जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय और कृषि महाविद्यालय में स्थित एशियन एग्री-हिस्ट्री फाउंडेशन (एएएचएफ) के मुख्यालय में आयोजित कार्यशाला के दौरान हर्बल कुणपजल के बनाने की विधि और उपयोग पर प्रशिक्षण प्राप्त किया था। उन्हे उत्कृष्ट कृषि विधियों का खेतों में किए गए उपयोग के लिए उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2019 में कृषि भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
जैविक किसान श्री प्रमोद गुणवंत (मोबाइलः $91-63982-26224) नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के सिमराड़ गाँव के एक उत्साही जैविक किसान हैं, उन्होंने अपने खेत में विभिन्न फसलों हेतु हर्बल कुणपजल का निर्माण किया एवं उसका फसलों में उपयोग करके क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने आड़ू और 8 वर्षीय कीवी फल के पौधों में हर्बल कुणपजल के उपयोग से फलों की उपज में कई गुना वृद्धि प्राप्त की। कीवी पादपों पर हर्बल कुणपजल के उपयोग से पौधों में उत्कृष्ट वृद्धि के साथ-साथ अत्यधिक फूल और फल भी प्राप्त हुए। साथ पौधों पर किसी भी प्रकार का रोग और कीट-पतंगों का प्रभाव नहीं हुआ। सामान्य रूप से 10-12 किलोग्राम कीवी फल के बजाय जो कि उनके और उनके पिता ने पिछले वर्षों में इस पौधे से तोड़े थे, वर्ष 2020 में हर्बल कुणपजल के उपयोग के बाद लगभग 100 किलोग्राम स्वस्थ फल प्राप्त हुए। यहां यह भी उल्लेख किया जाना चाहिए कि श्री गुणवंत ने भी 2020 में अपने आड़ू के पेड़ों से कई गुना अधिक पैदावार प्राप्त की थी (वृक्षायुर्वेद समाचार (2020) वॉल्यूम. 1 नंबर 1)। इसके अलावा, श्री गुणवंत उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित जैविक ब्लॉक, बेतालघाट ब्लॉक में हर्बल कुणपजल के निर्माण करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।
श्री अनिल पांडे (मोबाइलः $91-94113-78462) हल्दीचैड़, जिला नैनीताल के एक प्रगतिशील और अभिनव जैविक किसान है। उन्होंने एशियन एग्री-हिस्ट्री फाउंडेशन, गो. ब. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर के मुख्यालय पर वृक्षायुर्वेद पर आयोजित की गई दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया था। ये अपने खेत में हर्बल कुणपजल की तकनीकी का उपयोग कर रहे है फसल उत्पादन और फसल सुरक्षा हेतु क्षेत्र की विभिन्न फसलों, फलों और सब्जियों में हर्बल कुणपजल के उपयोग का अनुभव प्राप्त कर रहे है। उनके अनुभव के अनुसार कुणपजल का उपयोग लघु और सीमांत किसानों के लिए कम लागत वाली जैविक कृषि तकनीक है। वे जैविक खेती के एक विशेषज्ञ हैं और उन्होंने उत्तराखंड में 8000 किसानों को जैविक खेती के लिए भी प्रशिक्षित किया है।
पूरन सिंह बोरा (मोबाइलः $91-95364-45538), जिला अल्मोड़ा के चैना गाँव के एक प्रगतिशील, व्यापारिक किसान ने “कुणपजल अपनाओ धरती बचाओ” का नारा दिया है। वे इस बात पर जोर देते है कि हमें अपनी पीढ़ियों को सुरक्षित करना है तो हमें अपनी भूमि पर हर्बल कुणपजल का उपयोग कर उसे सुरक्षित करना होगा। बोरा जी अपने अनुभवों के आधार पर कहते हैं कि हर्बल कुणपजल का उपयोग हमारे खेतों की रक्षा और हमारी फसलों की उत्पादकता एवं फसल सुरक्षा को बढ़ाने का सबसे उत्तम तरीका है। उन्होंने अपनी टमाटर की फसल में हर्बल कुणपजल का इस्तेमाल किया और सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर के फल से दोगुनी पैदावार का दावा किया।।